अगर आपसे कहा जाए कि सब्जियों का राजा आलू आपके घर को बिजली देगा तो आपकी प्रतिक्रिया कैसी होगी। लेकिन यह सच है… वैज्ञानिक आलू से बिजली पैदा करने की तकनीक पर काम कर रहे हैं।
वे सस्ती धातु की प्लेट, तार और एलईडी बल्ब को मिलाकर ऐसी तकनीक बना रहे हैं, जिससे हर गांव में बिजली पहुंचेगी।
जेरूसलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता राबिनोविच का दावा है कि एक आलू एक एलईडी बल्ब को 40 दिनों तक जला सकता है। इसके लिए केवल दो धातुओं की आवश्यकता होती है - एनोड (जो नकारात्मक इलेक्ट्रोड के रूप में कार्य करता है), और कैथोड (जो सकारात्मक इलेक्ट्रोड के रूप में कार्य करता है)।
आलू में मौजूद एसिड जिंक (एनोड) और कॉपर (कैथोड) रासायनिक रूप से एक साथ प्रतिक्रिया करते हैं और जब इलेक्ट्रॉन एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ में जाते हैं तो ऊर्जा उत्पन्न होती है।
इसकी खोज वर्ष 1780 में लुइगी गलवानी ने की थी जब उन्होंने मेंढक की मांसपेशियों को झटका देने के लिए दो धातुओं को मेंढक के पैरों से बांध दिया था।
2010 में, राबिनोविच ने इस पर काम करने के लिए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एलेक्स गोल्डबर्ग और बोरिस रुबिन्स्की के साथ सहयोग किया।
उन्होंने 20 विभिन्न प्रकार के आलू देखे और उनके आंतरिक प्रतिरोध का परीक्षण किया। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि गर्म करने से कितनी ऊर्जा नष्ट होती है।
आलू को आठ मिनट तक उबालने से कार्बनिक ऊतक टूट गए, प्रतिरोध कम हो गया, और इलेक्ट्रॉन अधिक चले गए-इससे अधिक ऊर्जा पैदा हुई।
आलू से बिजली बनाने का तरीका इस प्रकार है:
इस प्रयोग को करने के लिए आलू को चार या पांच टुकड़ों में काटकर तांबे और जस्ता की प्लेटों के बीच रखा गया। इससे उसके अंदर की ऊर्जा 10 गुना बढ़ गई।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह था कि इससे बिजली बनाने की लागत भी काफी कम हो गई थी। राबिनोविच ने कहा कि हालांकि इसका वोल्टेज अभी भी बहुत कम है,
इसकी मदद से ऐसी बैटरी बनाना संभव है जो मोबाइल या लैपटॉप को चार्ज कर सके। गौरतलब है कि साल 2010 में दुनिया में 324 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ था।
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